तुकोजीराव होल्कर (प्रथम) का जीवन परिचय (Tukoji Rav Holkar I Biography in Hindi)

तुकोजीराव होल्कर (प्रथम) का जीवन परिचय, कौन थे, हिस्ट्री, इतिहास, जन्म, परिवार, सेनापति, मृत्यु, निधन (Tukoji Rav Holkar Biography in Hindi) (Koun the, History, Birth, Death, Family)

भारत के इतिहास से भारत के लोगों का बहुत पुराना संबंध रहा है। सदियों से हमारे राजा महाराजाओं ने भारत देश की आन बान और शान के लिए अपनी जान कुर्बान की है। ऐसे ही एक महान राजा के बारे में हम यहां पर आज बात करने जा रहे हैं जिनके बारे में आपने किताबों में भी नहीं पढ़ा होगा। जी हां उस राजा का नाम है तुकोजी होल्कर, उनके जीवन से संबंधित कुछ बातें आज हम यहां पर करने वाले हैं।

tukoji rav holkar biography in hindi

तुकोजी राव होल्कर (प्रथम) का जीवन परिचय (Tukoji Rav Holkar Biography in Hindi)

तुकोजी राव होल्कर का जन्म, परिवार, धर्म, जाति (Birth, Family, Religion, Caste)

पूरा नामतुकोजी राव होल्कर
प्रसिद्धिअहिल्याबाई होलकर के सेनापति
उपलब्धिहोल्करवंश के शासक
जन्मसन 1723 में
जन्म स्थानइंदौर
मृत्युसन 1797 में
शासनकालसन 1795 – 1797 तक
उत्तरवर्तीकशी राव होल्कर
पिता का नामतनुजी होल्कर
धर्महिन्दू
जातिहोल्कर

 

तुकोजी राव होल्कर इतिहास (History)

तुकोजी राव होलकर के इतिहास एवं उनके जीवन के बारे में सभी चीजें हम यहां आपको बता रहे हैं. इस लेख को अंत तक पढ़ें –

तुकोजी राव होल्कर कौन थे (Who is Tukoji Rav Holkar)

तुकोजीराव होल्कर को अहिल्याबाई होल्कर के सेनापति के नाम से जाना जाता था, जोकि बाद में होल्करवंश के शासक बने.

तुकोजी राव होल्कर का परिवार (Family)

तुकोजी राव होल्कर का जन्म 1723 में इंदौर शहर में हुआ था। उनके पिताजी का नाम तनुजी होल्कर था और वह भी एक मशहूर और बलवान शासक थे.

तुकोजी राव होल्कर प्रारंभिक जीवन (Early Life)

तुकोजी अहिल्याबाई के कार्यवाहक अधिकारी के रूप में उनकी इच्छाओं तथा आदेशों का पालन किया करते थे। अहिल्याबाई को दान भक्ति के लिए बहुत जाना जाता है, वे सदैव अपनी भक्ति और दान में व्यस्त रहती थी। वे कभी भी अपने साम्राज्य और सेना को उन्नत बनाने पर विशेष ध्यान नहीं दे पाती थी जिसके चलते वह सारा कार्य भार तूकोजी होल्कर को संभालना पड़ता था। तुकोजी होल्कर बहुत ज्यादा महत्वकांक्षी तथा अविवेकी पुरुष थे। प्रारंभ में मराठा अभियानों में वह महादजी के साथ सहयोगी की तरह काम करते थे।

तुकोजी राव होल्कर युद्ध कौशल

बड़गांव तथा तालेगांव के बीच जब ब्रिटिश सेना का युद्ध हुआ उस समय महाद जी के साथ तुकोजी होल्कर ने भी अपना योगदान दिया था। तुकोजी होल्कर दूरदर्शिता के अभाव की वजह से अपने अधीनस्थ व्यक्तियों तथा सचिवों के हाथ की कठपुतली बन गया था। तुकोजी अविवेकी पुरुष होने की वजह से पेशवा की आज्ञाओं का हमेशा से नजरअंदाज करता रहता था जिसकी वजह से 1792 में शिंदे के विरुद्ध उसने सरदारों को उभारा, जिसका परिणाम यह हुआ कि महादजी ने उसको खत्म करने के लिए 8 अक्टूबर 1792 को राव भाऊ की मदद से सुरावली नामक स्थान पर होल्कर पर आकस्मिक आक्रमण करवाया। तुकोजी होल्कर के बहुत सारे सैनिक इस आक्रमण में मारे गए परंतु तुकोजी होल्कर को बंदी बना लिया गया इसलिए वह जीवित रहा।

मल्हार राव होल्कर द्वारा प्रशंसा

मल्हार राव के सबसे ज्यादा वफादार सेनापति के रूप में श्रीमंत तुकोजीराव होल्कर को जाना जाता था। जब मल्हारराव मृत्यु की शैया पर सोए थे तब तुकोजी राव की सराहना उस राजघराने के हर व्यक्ति के द्वारा सुनी जाती थी, जिसकी वजह से तुकोजीराव का सम्मान और निष्ठा राज्य में बहुत अधिक बढ़ गया। उस सम्मान और निष्ठा को देखकर मल्हार राव ने तुकोजीराव को अपनी मृत्यु के बाद सिंहासन का अधिपति घोषित किया और कहा कि मेरी मृत्यु के बाद तुम ही एक ऐसे व्यक्ति हो जो राजकुमार माली राव होल्कर (मल्हारराव के पोते) के रक्षक बन सकते हो।

अहिल्याबाई होल्कर के प्रति निष्ठा

मालेराव होल्कर का जीवनकाल अधिक नहीं था बीमारी के कारण 13 मार्च 1767 में ही उनका निधन हो गया था। जिसके चलते अहिल्याबाई के कंधों पर पूरे राज्य का कार्यभार सौंप दिया गया परंतु अहिल्याबाई भी राज्य के कार्यभार में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाती थी लेकिन तुकोजीराव ने मालेराव की मृत्यु के बाद स्वयं को राज्य के प्रतिष्ठित व्यक्ति के रूप में अहिल्याबाई के सामने सेवा में प्रस्तुत कर दिया। अहिल्याबाई ने भी तुकोजीराव पर विश्वास करके राज्य का महत्वपूर्ण कार्यभार उसके कंधों पर सौंप दिया जो तुकोजीराव ने बखूबी निभाया।

तुकोजी राव होल्कर होल्करवंश के शासक

अहिल्याबाई की मृत्यु के बाद होल्करवंश का शासक तुकोजीराव को बनाया गया। सन 1795 से लेकर 1797 के दौरान तुकोजी राव होल्कर इंदौर के शासक के रूप में कार्यरत रहे।

तुकोजी राव होल्कर सेनापति

मल्हार राव के शासनकाल में तुकोजीराव उनकी सेना के सम्माननीय सेनापति रहे इसलिए अहिल्याबाई ने भी अपने राज्य में उन्हें एक महान सेनापति के रूप में स्थापित किया और लोगों ने उनकी खूब प्रशंसा की। तुकोजीराव शाही घराने की ओर अपनी प्रतिष्ठा और भावना के लिए बहुत जाने जाते थे क्योंकि वह बहुत ज्यादा अधिक कर्तव्य परायण भी थे। अहिल्याबाई के शासनकाल में सेनापति के रूप में जब तुकोजी राव होल्कर ने सेनापति की कमान संभाली तब लाहौर, अटक और पेशावर की लड़ाई में उन्होंने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

तुकोजी राव होल्कर निधन (Death)

वह इतिहास के ऐसे सेनापति बने जिन्होंने पंजाब और अटॉक तथा पेशावर के प्रमुख क्षेत्रों में एक महान मराठा के रूप में सेनाओं की कमान संभाली।

उस युद्ध में उन्होंने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई उसके बाद 15 अगस्त 1797 में उनका निधन हो गया। अहिल्या बाई की मृत्यु के बाद भी उन्होंने लगभग 2 वर्ष तक सेनापति के रूप में ही राज्य की कमान संभाले रखी।

मालवा के लोग तुकोजीराव पर बहुत विश्वास करते थे इसलिए सेनापति के साथ ही शासक रूप में भी उन्हें स्वीकार किया और वे उनके राज्य में अपने आपको सुरक्षित मानते थे। तुकोजीराव एक महान वफादार और कर्तव्य परायण सेनापति के रूप में इतिहास में मशहूर हो गए।

अन्य पढ़ें –

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *