भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता था (Bharat ko Sone ki Chidiya kyun kaha jata tha in Hindi)
भारत को पहली से 11 वी शताब्दी तक सोने की चिड़िया कहा जाता है. यह दुनिया का सबसे विकसित देश था. हर दृष्टि से देखा जाए सुन्दरता, सम्रद्धता, वैध, व्यापार, महलों और राजाओ का देश, नदियों और महासागरो से भरा, जंगली जानवर, पशु और हथियो से सम्रद्ध , कई धर्म, भाषाएँ, हर क्षेत्र में आगे था. हर घर में लघु उद्योग चलाए जाते थे . यहाँ सामान के बदले सोना लिया जाता था . हर कोई देश भारत के साथ व्यापार करना चाहता था . एक समय आया जब यह वस्तु विनिमय को बदल कर मुद्रा का उपयोग करना शुरू किया, तब सोने की बनी मुद्रा का उपयोग किया जाने लगा, धीरे धीरे चांदी के सक्को का प्रचलन आया . कई लुटेरे भारत आए जिन्होंने यहाँ से टनो से सोना चांदी ले कर गए . भारत के पास इतना सोना था आज तक भी इस बात का अनुमान नही लगाया जा सकता . भारत के वैभव को देख मुगलों ने इस पर कई हमले किए . अंग्रेजो ने भी कई कूट निति और चालो का सहारा ले कर अपना साम्राज्य भारत में स्थापित किया इसे अपना गुलाम बनाया कई अत्याचार किए और यहाँ से सोना और चांदी लुट कर ले गए. इसकी सम्पन्नता को देख ब्रिटिश लोग भारत को सोने की चिड़िया बुलाते थे.
रूपये और डॉलर का अवलोकन : 1947 में जब भारत आजाद हुआ था , तब भारत पर कोई बाहरी उधार नही था. इस प्रकार रूपये का मूल्य डॉलर के बराबर था . आजादी के बाद भारत की अर्थव्यवस्था को सुधारने और लोगो के पुनरुत्थान के लिए 1950 में कुछ बाहरी देशो से धन उधार लिया गया . 1960 के दशक में भारत सरकार को बजट में घाटा हुआ . इस प्रकार भारत पाकिस्तान युद्ध , भारत चीन यद्ध और कई गंभीर समस्याओ के चलते रूपये की कीमत कम होती गई. 2013 में भारत की अर्थव्यवस्था काफी गड़बड़ा गई और रूपये की कीमत और डॉलर की कीमत में 68.75 का फर्क आ गया .
1917 : $ 13 डॉलर (यु एस ए ) = 1 रूपये
1947 : $ 1 डॉलर (यु एस ए ) = 1 रूपये
2017 : $ 1 डॉलर (यु एस ए ) = 65.20 रूपये
सोने की चिड़िया कहाँ जाने का कारण :
व्यापार (मसाला , लोहा , कपास ) : भारत एक एसा देश है जहाँ व्यापर का एक बहुत पुराना इतिहास है. भारत में बहुत पहले ही व्यापार के लिए एक संगठन की स्थापना की गई थी. एक समय था जब भारत मसालों के व्यापार में विश्व का सबसे बड़ा देश था , दुनिया के सम्पूर्ण उत्पादन का 43 % हिस्सा भारत में उत्पादित होता था . दुनिया की कुल आय का 27 % हिस्सा भारत का होता था . पहले भारत में घर घर में कपास से सूत बनाया जाता था , लोहे के औजार बनाए जाते थे और हर घर में लघु उद्योग थे . भारत से मसाले , चीनी , औजार , कपास आदि को निर्यात किया जाता था . हर घर में व्यापर किया जाता था . इन सबके अलावा भी कई कारण है जैसे :
मोर सिंघासन : भारत में एक मोर सिंघासन था , जिसे मयूर सिंघासन या तक्ते ताउस भी कहते है. कहाँ जाता है कि यह सिंघासन सोने से बना हुआ था और इसपर बेशकीमती हीरे जड़े थे , यह इतना कीमती था , की इसकी कीमत आकना भी मुश्किल था. इस कीमती सिंघासन को सिकंदरा बाज नाम का लुटेरा लुट के ले गया . सिकंदरा बाज अफगानिस्तान से भारत आया था और यह इस मयूर सिंघासन को अपने साथ ले गया .
पद्मनाभस्वामी मंदिर : भारत के कई मन्दिर के पीछे कई रहस्यों की कहानी है .ऐसे ही एक मन्दिर है पद्मनाभ मंदिर . यह केरल राज्य के त्रिभुवन पुरम में स्थापित है , जोकि 5000 साल पुराना है . यह विश्व के सबसे रहस्यमई मन्दिर में से एक है. इसमें एक दरवाजे का रहस्य है जिसे कोई नही खोल पाया है. आज भी इस दरवाजे पर प्रश्नवाचक चिन्ह लगा है , इस मन्दिर में 6 तहखाने है जिन्हें A , B , C ,D ,E , F नाम दिया है. सभी तहखाने के दरवाजे खोल लिए गए है जिसमे बेशकीमती सोना सोना हिरा, रत्न, मुर्तिया और कई कीमती रत्न है जिनकी कीमत आकना भी मुश्किल है. इसमें B दरवाजे को आजतक खोला नही गया है. इस दरवाजे के पीछे कई कहानियाँ है एसा बोला जा रहा है, इसे केवल सिद्ध मंत्रो से ही खोला जा सकता है यदि आधुनिक तकनीको से इसे खोला जाएगा तो प्रलय आने की आशंका है, आज भी यह एक रहस्य बना हुआ है .
भारत में खनिज और उनका उपयोग : भारत में खनिजो का भंडार है , जैसे सोना , लोहा , ताम्बा , मेगनीज , टायटेनियम , क्रोमाइट , बोक्साईड , केनाईट , चुना पत्तर , नमक , हिरा , परमाणु खनिज जिप्सम ,अभ्रक आदि इनका भारत में न केवल उत्पादन किया जाता है बल्कि इसे देश विदेशो में निर्यात भी किया जाता है. उड़ीसा से सबसे अधिक बोक्साईड और मेगनीज का उत्पादन होता है . देश के कुल सोने का 98 % कर्नाटक में पाया जाता है. कोयले के उत्पादन में भारत तीसरे नम्बर पर है. आज बहुत जरूरी है इन खनिजों का सही ढंग से उत्पादन और निर्यात तभी देश की अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा.
कोहिनूर हिरा : कोहिनूर हीरा विश्व का सबसे बड़ा हीरा है , इसका वर्णन पुराणों में भी किया गया है, जोकि अभी इग्लेंड के पास है यह 106 केरेट का है. यह बेशकीमती हीरा गोलकुंडा नामक खान से मिला था , यह खान आंध्रप्रदेश में है . इस हीरे को पाने के लिए कई लोगो ने युद्ध लड़े और आज भी इसे कई देश पाने के प्रयास कर रहे है . भारत ने भी इसे वापस मांगने की याचिका की है पर इस याचिका को भी इंग्लेंड ने ख़ारिज कर दिया . भारत की भूमि में यह हीरा पाया गया यह भारत के वैभव को दर्शाता है . 1857 की क्रांति के बारे में जानने के लिए यहाँ पढ़े।
कृष्ण नदी और स्वर्ण रेखा नदी : कृष्ण नदी एक दुनिया की एसी नदी है जिस पर देश विदेश के लोगो की नजर टिकी है . सोना उगलने वाली यह नदी झारखण्ड की घाटियों में बहती है . इस नदी से सेकड़ो सालो से सोने के कण निकल रहे है . इस बात का आज तक पता नही चला की यह सोने के कण कहाँ से इस नदी में आ रहे है . भू वैज्ञानिकों का मानना है , कि पहाड़ों से जब यह नदी बहती है तो घर्षण की वजह से पहाड़ो से सोना घिस कर इसमें मिल जाता है. यहाँ रहने वाले स्थानीय निवासी इस नदी की रेत में से छान कर सोने के कण निकल कर बहुत सस्ते दामो में बेच देते है . यह दुनिया में एक मात्र नदी है जो सोना उगलती है .
विकसित से विकासशील देश :
भारत से विदेशी लुटेरो ने बेशकीमती सोना लुट लुट कर ले गए . दुनिया का सबसे विकसित माना जाने वाला देश आज विकासशील देश बन गया . इसकी गिनती अब दुनिया के गरीब और पिछड़े हुए देशो में की जाने लगी. भारत को फिर से एक विकसित देश बनाने का प्रयास किया जा रहा है देश विदेशो से अपने संबंधो को स्थापित कर आय को बढाने का प्रयास किया जा रहा है भारत की अर्थव्यवस्था को सुधारने का प्रयत्न किया जा रहा है . जब तक देश में गरीब खत्म नही हो जाते तब तक हम भारत को एक विकसित देश नही कह सकते . देश में फिर से एक क्रांति लानी होगी बेरोजगारी खत्म कर भ्रस्टाचार को मिटाना होगा तभी इस सोने की चिड़िया कहे जाने वाले देश को फिर से एक सम्रद्ध राष्ट्र बनेगा .
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