आधुनिक भारत का इतिहास (Modern History of India in hindi)
वैसे तो मुगल साम्राज्य के समापन के साथ भारत के आधुनिक इतिहास की शुरुआत मानी जाती हैं, लेकिन मुगल काल का पतन अचानक से नहीं हुआ था, ये कई वर्षों तक चलने वाले राजनैतिक गतिविधियों का परिणाम था जिसके परिणामस्वरूप भारत की सत्ता मुगलों से ब्रिटिशर्स के पास गयी. वास्तव में भारत शुरू से सोने की चिड़िया था, और सारी दुनिया की नजर यहाँ की संपति और वैभव पर थी. जिसका साक्ष्य इस देश पर हुए अनगिनत हमले हैं, और इन हमलों के दौरान ही सत्ता कब मूल भारतीय शासकों के हाथ से निकलकर विदेशियों के हाथ में पहुंची, इसका अंदाजा तब तक नही हुआ, जब तक इतिहास का विश्लेषण ना किया गया. उस काल में भारत में जमीन के लिए सभी राजा एक-दुसरे से लड़ रहे थे, इसी बात ने विदेशी आक्रान्ताओं को आकर्षित किया, और उन्होंने उपलब्ध संसाधनों का उपभोग करते हुए यहाँ शासन तक अपनी पहुँच बनाई. जैसे यूरोपियन शुरू में भारत से मसालों का व्यापार करना चाहते थे, लेकिन कालांतर में उन्होंने परिस्थितयों को इस तरह से अपने वश में किया कि राजशाही को लगभग समाप्त करके पूरा साम्राज्य अपने अधीन कर लिया.
ब्रिटिश, भारत में उपलब्ध संसाधनों से आकर्षित होकर ही यहाँ आये थे,जिसकी जानकारी उन्हें अन्य देशों से मिली थी. 17 वी शताब्दी में भारत में कई यूरोपियन कम्पनियों में एक प्रतियोगिता चल रही थी, और 18वीं शताब्दी तक ईस्ट इंडिया कम्पनी ने इस प्रतियोगिता को लगभग जीत लिया था और देश के अधिकाँश हिस्सों में अपना प्रभुत्व कायम कर लिया था, लेकिन सबसे बड़ा परिवर्तन तब आया जब इस कम्पनी ने यहाँ की राजनीतिक गतिविधियों में ना केवल हस्तक्षेप शुरू किया, बल्कि कूटनीति से कई क्षेत्रों में अपना शासन भी जमा लिया, जिसका परिणाम ये हुआ कि भारत में आर्थिक,राजनीतिक और सामजिक स्तर तक ब्रिटिशर्स के कारण कई तरह के बदलाव आ गये.
भारत एवं भारतीय सामाजिक ढांचा इस तरह की विदेशी शक्ति के शासन और उनके कार्य-पद्धति के लिए तैयार नहीं था, लेकिन जब तक कि भारतीयों को ये बात समझ आती तब तक देर हो चुकी थी, क्योंकि ईस्ट इंडिया कंपनी ने पूरी तरह से अपने पैर भारत में जमा लिए थे. ईस्ट इंडिया कम्पनी ने यहाँ के संसाधनों एवं मजदूर वर्ग का शोषण करना शुरू किया, जिसके कारण ब्रिटिशर्स के खिलाफ जन-आक्रोश बहुत ही बढ़ गया और परिणामत: 1857 की क्रांति हुयी, सैन्य विद्रोह से शुरू हुआ ये विद्रोह बहुत स्तर तक विफल रहा लेकिन ये संग्राम तो आम-जन में स्वायत्ता और स्वतंत्रता की महत्वकांक्षा के वो भ्रूण का उद्भव था. उस समय समस्त भारतीयों ने एकता और सामूहिक विद्रोह की परिभाषाएं सीखी, ब्रिटिशर्स की क्रियाविधियों को समझा और अपनी स्वतंत्रता के महत्व को महसूस किया. सच यही था कि उस समय इस जन-जागृति की सबसे ज्यादा जरूरत थी, क्योंकि सदियों के शोषण से भारतीय इस तरह के जीवन अपना भाग्य और प्रारब्ध मानने लगे थे, इसलिए असफल ही सही लेकिन अगली सदी के लिए कई सन्दर्भों में ये क्रान्ति बेहद सार्थक सिद्ध हुयी थी.
इस तरह कई कारणों और समय की जरूरत को समझते हुए ही भारतियों ने अपने लिए 1885 में एक राजनीतिक पार्टी की स्थापना की थी (जिसका नाम इंडियन नेशनल कांग्रेस था), जो ब्रिटिशर्स के साथ मिलकर भारतीयों के हितों के लिए काम करती थी. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान और बाद अंग्रेजों ने भारत में साम्राज्यवाद को बेहद बढ़ा दिया था, जिसके कारण भारतीयों में आक्रोश बढने लगा और आखिर में कांग्रेस भी ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध हो गयी. उसी समय भारत को महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरु, लाला लाजपत राय जैसे कई नेता भी मिले तो कुछ ऐसे युवा क्रान्तिकारी भी मिले, जिन्होंने इस स्तंत्रता संग्राम में अपना जीवन आहूत कर दिया. बहुत से आन्दोलन सत्याग्रह एवं घटनाएँ उस समय घटित हुयी जिनके कारण ब्रिटिश सरकार पर ये दबाव पड़ा कि वो देश को छोड़ दे और यहाँ स्वतंत्रता की घोषणा कर दे.
आधुनिक भारत के इतिहास की औपचारिक शुरुआत प्लासी के युद्ध से मानी जा सकती हैं, क्योंकि इस युद्ध ने भारत की सत्ता तक आधिकारिक रूप से पहुँचने के लिए अंग्रेजों को मौका दे दिया था, इसके बाद हुए निम्न घटनाक्रमों से समझा जा सकता हैं कि कितने युद्ध, संघर्ष और समस्याओं से भारत को समप्रभुता, स्वतंत्रता और स्वायत्ता मिली.
वर्ष | घटना |
1757 | प्लासी का युद्ध: इसमें ब्रिटिश ने सिराजुदौल्लाह को हरा दिया था |
1760 | वान्दिवाश (Wandiwash): ब्रिटिशर्स ने फ्रांस को हराया. |
1761 | पानीपत का तीसरा युद्ध |
1764 | बक्सर का युद्ध जिसमें ब्रिटिश ने मेरे कासिम को हराया |
1765 | ब्रिटिश को बंगाल,बिहार,उड़ीसा में दीवानी के अधिकार मिल गये |
1767 से 1769 | मैसूर का प्रथम युद्ध |
1772 | बंगाल में वारेन हेस्टिंग को गवर्नर जनरल बनाया गया. |
1773.
| ब्रिटिश पार्लियामेंट द्वारा रेग्युलेटिंग एक्ट पारित किया गया |
1775-1782 | पहला एंग्लो-मराठा युद्ध हुआ था |
1780 से 1784 तक | मैसूर का द्वितीय युद्ध हुआ था,जिसमें ब्रिटिशर्स ने हैदर अली को हरा दिया था. |
1784 | पिट इंडिया एक्ट आया था. |
1790 से 1792 तक | टीपू सुल्तान और ब्रिटिशर्स के मध्य मैसूर का युद्ध चला था. |
1793 | बंगाल का परमानेंट सेटलमेंट कर दिया गया |
1799 | इस वर्ष मैसूर का चौथा युद्ध हुआ जिसमें ब्रिटिशर्स ने टीपू सुलतान को हरा दिया. |
1802 | बेसिन (bassein) की संधि |
1803 से 1805 | दूसरा एंग्लो मराठा युद्ध हुआ |
1814 से 1816 | एंग्लो गुरखा युद्ध |
1817 -1818 | पिंडारी युद्ध |
1824 से 1826 | बर्मेस का प्रथम युद्ध (burmese) |
1829 | सती प्रथा पर रोक |
1831 | मैसूर पर ईस्ट इंडिया कम्पनी का कब्जा |
1833 | कम्पनी के चार्टर (charter) का नवीनीकरण |
1833 | पूरे ब्रिटिश साम्राज्य में गुलाम-प्रथा की समाप्ति |
1838 | शाह शुजा,रंजित सिंह और ब्रिटिशर्स के मध्य त्रिकोणीय संधि (Tripartite treaty) |
1839 से 1842 | पहला अफगानी युद्ध |
1843- | ग्वालियर का युद्ध |
1845 से 1846- | पहला एंग्लो-सिख युद्ध |
1848 | लार्ड डलहौजी गवर्नर जनरल बने |
1848 से 1849
| द्वितीय एंग्लो सिख युद्ध |
1852 | द्वितीय एंग्लो-बर्मीज युद्ध |
1853 | रेलवे और टेलीग्राफ लाइन की शुरुआत |
1857 | स्वतंत्रता संग्राम की पहली क्रान्ति-सैन्य विद्रोह और झांसी की रानी का संघर्ष |
1858 | ब्रिटिश क्राउन ने भारत की सत्ता ईस्ट इंडिया कम्पनी से ले ली |
1877 | इंग्लैंड की महारानी ने ने भारत पर शासन शुरू किया |
1878 | वेरनाक्युलर प्रेस एक्ट (Vernacular press act) |
1881 | फैक्ट्री एक्ट |
1885 | इंडियन नेशनल कांग्रेस की पहली मीटिंग |
1897 | बोम्बे में प्लेग का फैलना और फेमाइन कमीशन का आना |
1899 | लार्ड कर्जन का गवर्नर जनरल और वायसराय बनना
|
1905 | बंगाल का विभाजन
|
1906 | मुस्लिम लीग का बनना
|
1911 | बंगाल के विभाजन में परिवर्तन (मॉडिफिकेशन) और बंगाल में प्रेसिडेंसी बनाना |
1912 | ब्रिटिश राजधानी का कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित होना |
1913 | भारत की सरकार का शैक्षिक संकल्प |
1915 | डिफेन्स ऑफ़ इंडिया एक्ट |
1916 | होम रूल लीग,पूना में महिला विश्विद्यालय की स्थापना |
1919 | रोलेट एक्ट विरोध,जलियावाला बाग़ हत्याकांड |
1920 | खिलाफत आंदोलन की शुरुआत,असहयोग आंदोलन |
1921 | मालाबार में मोपला विद्रोह:सेन्सस ऑफ़ इंडिया (Census of india) |
1922 | असहयोग आंदोलन,चौरी-चौरा काण्ड |
1925 | रिफोर्म इन्क्वायरी कमिटी रिपोर्ट |
1927 | इंडियन नेवी एक्ट:साइमन कमीशन बनना |
1928 | साइमन कमीशन भारत में आई,सभी पार्टियों ने इसका बहिष्कार किया |
1929 | लार्ड इरविन ने भारत को सम्प्रभुता देने का वादा किया |
1930 | नमक सत्याग्रह,पहला गोलमेज सम्मेलन |
1931 | दूसरा गोलमेज सम्मेलन:इरविन-गांधी समझौता |
1932 | तीसरा गोलमेज सम्मेलन,पूना पैक्ट |
1934 | असहयोग आंदोलन की समाप्ति |
1937 | प्रांतीय स्वायत्ता का उद्घाटन |
1939 | भारत में कांग्रेस नेताओं के इस्तीफे से राजनीति में गतिरोध होना |
1942 | क्रिप मिशन (Cripp’s mission) |
1944 | गांधी-जिन्ना का पाकिस्तान मुद्दे पर बातचीत |
1946 | भारतीय नेवी में विद्रोह,कैबिनेट मिशन और अंतरिम सरकार का निर्माण |
3 जून 1947 | लार्ड माउंटबेटन का भारत विभाजन की योजना |
15 अगस्त 1947 | भारत का विभाजन और स्वतंत्रता |
इस तरह आधुनिक भारत के इतिहास में जहां भारत में हुए राजनैतिक और सामजिक परिवर्तन का अध्ययन किया जाता हैं, वहीं ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में किये गये विकास कार्यों को भी नजरंदाज नहीं किया जाता क्योंकि सरकार ने शैक्षिक संस्थाओं और चिकित्सा सुविधाओं के अतिरिक्त कुछ ऐसी परम्पराओं में भी क़ानूनी परिवर्तन किया था जिसके कारण भारत की तस्वीर ही बदल गयी.
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